चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में”One Earth, One Health” थीम पर आयोजित सात दिवसीय योग शिविर का शुभारंभ

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सीसीएसयू क्रीड़ा प्रांगण में शुरू हुआ सात दिवसीय योग शिविर – स्वस्थ जीवन के लिए “करें योग” को अपनाने का आह्वान

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं क्रीड़ा भारती मेरठ प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय योग शिविर (15 जून से 21 जून तक) का भव्य शुभारंभ आज विश्वविद्यालय के क्रीड़ा प्रांगण में हुआ। इस वर्ष की थीम “Yoga for One Earth, One Health” को आत्मसात करते हुए शिविर का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ-साथ वैश्विक कल्याण को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ योग गुरु पूज्य स्वामी कर्मवीर जी महाराज, मा. कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, तथा मुख्य अतिथि श्री राजेन्द्र अग्रवाल (पूर्व सांसद, मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र) द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।

कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा:
“योग अब केवल भारत की परंपरा नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक बन चुका है। सूर्य नमस्कार जैसे अभ्यास शरीर, मन और आत्मा को जोड़ते हैं। योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल कर युवा वर्ग अपने भीतर ऊर्जा, अनुशासन और सशक्तता ला सकता है। माननीय कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी की प्रेरणा से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की श्रृंखला में आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत विश्विद्यालय द्वारा आयोजित यह शिविर योग को संस्कार के रूप में आत्मसात करने की दिशा में प्रेरणादायक सिद्ध होगा।”

योग गुरु स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने कहा:
“योग जीवन का विज्ञान है। केवल आसनों का अभ्यास नहीं, बल्कि प्राणायाम, ध्यान और संयम से युक्त दिनचर्या ही सच्चे योग की ओर ले जाती है। सूर्य नमस्कार, महायोग मुद्रा, मृदु भस्त्रिका जैसे अभ्यास हमारे शरीर को भीतर से जागृत करते हैं। योग एक ऐसा अमोघ उपाय है जो तन, मन और आत्मा – तीनों को साधता है। यदि हर नागरिक प्रतिदिन प्राणायाम करे, तो देश रोगमुक्त बन सकता है।”

मुख्य अतिथि श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा:
“भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से योग आज वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है। योग न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति को भी विश्वपटल पर स्थापित करता है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का यह योग शिविर नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का उत्कृष्ट प्रयास है।”

शिविर के प्रथम दिन महायोग क्रिया प्रथम अभ्यास, अर्धचंद्र आसन, सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम, मंडूक आसन, चंद्रासन, पवनमुक्तासन, उष्ट्रासन, विमान आसन, पेट के विभिन्न अभ्यास, पेट के विभिन्न अभ्यास, हनुमानासन, योगनिद्रा शवासन जैसे योग अभ्यास कराए गए।

इस अवसर पर प्रो. बीरपाल सिंह (निदेशक शोध), प्रो. नीलू जैन गुप्ता(अध्यक्षा ,साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद), प्रो कृष्णकांत शर्मा(समन्वयक साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद), प्रो. राकेश कुमार शर्मा(समन्वयक, योग विज्ञान विभाग), प्रो. गुलाब सिंह रूहल, प्रो. आलोक कुमार, डॉ. वैशाली पाटील, डॉ. दुष्यंत चौहान, डॉ. सचिन कुमार, प्रो. प्रशांत कुमार, इंजीनियर मनीष मिश्रा, इंजीनियर प्रवीण पंवार, इंजी. संदीप अग्रवाल, सत्यम सिंह, ईशा पटेल, अमरपाल सिंह, नवज्योति, सर्वोत्तम शर्मा, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. ओमपाल शास्त्री आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

क्रीड़ा भारती से डॉ. संदीप त्यागी( क्षेत्रीय सह संयोजक), ज़िलाध्यक्ष श्री अश्वनी गुप्ता, श्री मनीष कुमार (जिला मन्त्री), जगत सिंह दौसा( प्रांतीय योग प्रमुख), राजन कुमार (प्रांतीय मंत्री) सहित कई कार्यकर्ताओं व स्वयंसेवकों ने शिविर को सफल बनाने में योगदान दिया।

विशेष बात यह रही कि इस वर्ष पहली बार योग शिविर का सीधा प्रसारण विश्वविद्यालय के यूट्यूब चैनल @CCSUYouTube पर किया जा रहा है।
प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से 7:00 बजे तक योगाभ्यास का लाइव प्रसारण सुनिश्चित किया गया है, जिससे देश-विदेश में बैठे दर्शक भी योग से लाभान्वित हो सकें। यह पहल विश्वविद्यालय के डिजिटल समावेशन और जन-संपर्क को नया आयाम दे रही है।

शिविर में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, कर्मचारियों और नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में स्वामी कर्मवीर जी द्वारा साँयकालीन सत्र में चिकित्सीय परामर्श भी रोगियों के लिए आयोजित किया गया । जिसमे स्वामीजी द्वारा विभिन्न रोगों जैसे गठिया का रोगियों को परामर्श दिया गया ।जिसमें स्वामी जी ने बताया कि चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है और दर्दों का कारण भी बनती है। हृदय के लिए स्वामी जी ने अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने का परामर्श दिया। सायंकालीन सत्र में स्वामीजी ने दर्जनों रोगियों को परामर्श दिया। जिसमें उन्होंने औषधियों के अलावा चिकित्सीय परामर्श एवं परहेज़ भी बताया। स्वामी जी ने पेट के रोगियों के लिए त्रिफला का प्रयोग भी बताया।

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