श्री राम ने धनुष तोड़ दिया है तो हर तरफ उनकी जय जयकार होने लगी

Blog

श्री सनातन धर्म रक्षिणी सभा पंजीकृत मेरठ शहर के तत्वधान में श्री रामलीला कमेटी मेरठ शहर द्वारा बुढ़ाना गेट स्थित जिमखाना मैदान में तीसरे दिन रामलीला का मंचन किया गया। आज लीला मंचन का उद्घाटन अमरनाथ सेवा समिति के अध्यक्ष महेश मित्तल महामंत्री विशाल गर्ग द्वारा किया गया तथा मुख्य पूजन कर्ता राजन सिंघल, व विशिष्ट अतिथि कोमल वर्मा रहे। संचालन राकेश शर्मा द्वारा किया गया। सभी उपस्थित पदाधिकारी सदस्य द्वारा पूजा अर्चना कर लीला मंचन प्रारंभ किया गया।


आज जनकपुरी प्रवेश, नगर भ्रमण, पुष्प वाटिका, गिरजा पूजा, धनुष यज्ञ, लक्ष्मण-परशुराम संवाद का लीला मंचन किया गया।

सर्वप्रथम प्रभु श्री राम का जनकपुरी में प्रवेश का लीला मंचन किया गया।


प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी मुनि के साथ जनकपुरी की ओर चले सर्वप्रथम वे वहां गए जहां जगत को पवित्र करने वाली गंगा थी। महाराज गाधि के पुत्र विश्वामित्र ने वह सब कथा कह सुनाई जिस प्रकार देवनदी गंगा पृथ्वी पर आई थी। प्रभु ने ऋषियों सहित गंगाजी में स्नान किया और वहां से शीघ्र ही जनकपुर के निकट पहुच गए। श्री राम ने जब जनकपुर की शोभा देखी, तब वह छोटे भाई लक्ष्मण सहित अत्यंत हर्षित हुए। वहां अनेको बावलियां, कुएँ, नदी और तालाब देखे जिनमें अमृत के समान जल था ।

पुष्प वाटिका बाग और वन जिनमे बहुत से पक्षियों का निवास था, फूलते, फलते और सुंदर पत्तों से लदे हुए वृक्ष नगर के चारों ओर सुशोभित थे। नगर की सुंदरता का वर्णन करते नही बनता था। इतना सुंदर दृश्य मानो ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से बनाया हो। सर्वप्रथम राजा ने मुनि के चरणों पर मस्तक रखकर प्रणाम किया। मुनियों के स्वामी विश्वामित्र जी ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया। दोनों भाइयों को देखकर सभी सुखी हुए। सबके नेत्रों में जल भर आया और शरीर रोमांचित हो उठे।


पुष्प वाटिका में सखियां गीत गाती हुईं जानकी जी को चारों तरफ से घेरे हुए चलती हैं। उस दौरान भगवान राम को देख सकुचाई जानकी एक बार फिर उनकी सूरत देखने के लिए आतुर नजर आती हैं। वह अपनी लालसा सखियों से व्यक्त करती हैं। सीता ने मंदिर ने गिरिजा पूजन किया। गिरिजा जी सीता की प्रार्थना सुनकर प्रसन्न हो जाती हैं। आकाशवाणी होती है कि हे जानकी, हमारी सत्यवाणी सुनों। तुम्हारे मन की कामना पूरी होगी, जिसमें तुम्हारा मन लगा है, वही वर तुमको मिलेगा। गौरी जी का आशीर्वाद सुनकर सखियों के साथ सीता प्रसन्न भाव से राजमहल में चली जाती हैं।

भगवान श्री राम ने कब धनुष को उठाया, कब प्रत्यंचा चढ़ाई और कब खींचा। उन्होंने यह तीनों कम इतनी फुर्ती से किये कि किसी को पता ही नहीं चल पाया। सभी ने बस श्री राम को खड़े ही देखा। इसी बीच धनुष टूट गया। उसकी कठोर ध्वनि से सभी डर गए । जब सभी को विश्वास हो गया कि श्री राम ने धनुष तोड़ दिया है तो हर तरफ उनकी जय जयकार होने लगी।

लेत चढ़ावत खैंचत गाढ़े, काहु न लखा देख सबु ठाढ़े, तेहि छन राम मध्य धनु तोरा, भरे भुवन धुनि घोर कठोरा

जब प्रभु श्रीराम भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुरामजी को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे परशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं। इस संवाद में शील, क्रोध, संयम और वीरता का बखान होता है। बाद में श्रीराम लक्ष्मण का क्रोध शांत करते हैं।

रामलीला मंचन देखने आए सभी दर्शक मंचन व वाद संवाद को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। दर्शक दीर्घा में बैठे मंचन देखने आए सभी धर्म प्रेमी ने अपनी जगह पर बैठे हुए पूरी लीला मंचन का आनंद उठाया।

लीला मंचन के पश्चात कोमल वर्मा सर्राफ के सौजन्य से वहां मौजूद सभी भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया।

इस कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष मनोज गुप्ता राधा गोविंद मंडप, महामंत्री मनोज अग्रवाल खद्दर , कोषाध्यक्ष योगेंद्र अग्रवाल बबलू, राकेश गर्ग, शिवनीत वर्मा, संतोष सैनी, मोनिका जैन अम्बुज गुप्ता, कमल दत्त शर्मा, आलोक गुप्ता, विपुल सिंघल, अपार मेहरा, प्रदीप अग्रवाल, मनोज जिंदल, दीपक गोयल ,संदीप गोयल रेवड़ी, अजीत शर्मा, सचिन गोयल, राकेश शर्मा, संदीप पाराशर, दीपक शर्मा, अनिल गोल्डी, अजय अग्रवाल, हर्षित गुप्ता, पंकज गोयल पार्षद सहित हजारों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *